۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
मुस्तफ़ा

हौज़ा / लखनऊ: इमामबाड़ा मीरन साहब मरहूम मुफ़्ती गंज का ख़दीमी अशरा-ए-मजालिस शब में ठीक ९ बजे मुनअख़िद हो रहा है, जिसे मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान अदीबुल हिंदी ख़िताब फ़रमा रहे हैं|

हौज़ा न्यूज़ एजेसी की रिपोर्ट के अनुसार, अशरा-ए-मजालिस की आठवीं मजलिस में मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान ने बयान किया के इनसान का सबसे बड़ा कमाल ये है के वोह अल्लाह का सालेह बंदा हो, रसूल और इमामे वख़्त की अताअत उसकी ज़िंदगी का नस्बुल ऐन हो, जनाबे सलमान, जनाबे अबुज़र, जनाबे मिख़दाद, जनाबे अम्मार जैसे अज़ीम असहाब के जिन्होंने अताअत-ए-ख़ुदा  ओ रसूल में ना कभी अपनी जान की परवाह की, ना माल की फ़िक्र की यहां तक के अपनी औलाद की भी फ़िक्र नहीं की, दुनिया को ठोकर मार दी और अल्लाह की रिज़ा की ख़ातिर मसायब ओ आलाम बर्दाश्त किये|

मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान ने हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम का तज़किरा करते हुए फ़रमाया: मौला अब्बास अलैहिस्सलाम मौला अली के वोह फ़रज़न्द हैं के जिनकी तमन्ना ख़ुद मौला ने की आपने वफ़ादारी ओ ईसार की वोह तारीख़ रक़म की के जिसकी दुनिया में मिसाल मिलना नामुमकिन ही नहीं बल्कि मोहाल है, आप ने यज़ीद के अमान नामे को ठुकरा दिया और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का साथ दिया, पानी तक पहुंच गये लेकिन तीन दिन की प्यास के बावजूद सिर्फ़ इस ख़्याल से पानी नहीं पिया के आक़ा हुसैन और उनके बच्चे प्यासे हैं, हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम  सालेह बंदे, रसूल अल्लाह (सल्लाहु अलैहे वा आलेहि वसल्लम) के हक़ीक़ी कलमागो और अताअत गुज़ार और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के मुतीय मुहिज़ थे|

आख़िर में मौलाना ने क़मर-ए-बनि हाशिम हज़रत अबुल फ़ज़लिल अब्बास अलैहिस्सलाम की बंदगी और नुसरते इमाम को बयान करते हुए उनकी शहादत को बयान किया|

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